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रूह ------ हर दफ़ा जब आईने के रूबरू आता हूँ तनहा

रूह
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हर दफ़ा जब आईने के रूबरू आता हूँ तनहा मैं ख़ुद से मिल महफ़िल हो जाता हूँ

इज्ज़त, ख़ुशी, यादें सबसे बाँटना चाहता हूँ

दुनिया में किसी का अपना बन जाना और किसी गैर को अपनी दुनिया बनाना चाहता हूँ

मनीष राज

©Manish Raaj
  #रूह