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manishraaj9056
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Manish Raaj

कवि एवं शायर

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Manish Raaj

अक़्सर
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जिनके दर-ओ-दीवार महंगे होते हैं अक़्सर उनके दिलों के देहलीज़ सस्ते होते हैं

मनीष राज

©Manish Raaj
  #अक़्सर
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Manish Raaj

महफ़िल
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अभिनय, जज़्बात, कोरे क़ागज़ को अपना प्यार बना रखा है

कुछ इस तरह मैंने अपनी तन्हाई को महफ़िल बना रखा है

मनीष राज

©Manish Raaj
  #महफ़िल
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Manish Raaj

उनके आने से
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बस एक उनके आने से समां सुहाना हो गया वह क्या गए, अपना जो भी था वह भी बेगाना हो गया

मनीष राज

©Manish Raaj
  #उनके आने से

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Manish Raaj

शर्म-ओ-हया
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दर्पण भी उनके चेहरे के दर्श को तरसता है ज़ुल्फ़ है की उनके चेहरे पर ही आ कर बिखरता है

इस एक चेहरे को देख कर कई चहरा सँवरता है शर्म-ओ-हया के लिबास में जब उनका चेहरा निखरता है

मनीष राज

©Manish Raaj
  #शर्म-ओ-हया

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Manish Raaj

उन्हें मिला होता
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मैंने बाग़ में गुलाब देखा फिर, उन्हें देखा और सोचा, क़ाश मैं बाग़ को और गुलाब उन्हें मिला होता

मनीष राज

©Manish Raaj
  #उन्हें मिला होता

#उन्हें मिला होता #शायरी

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Manish Raaj

औरत
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ख़ुद में अदाओं का तूफ़ां लिए बैठी है कभी लबों से ख़ुदा की इबादत किए बैठी है अपनी पलकों में सपनों का जहां लिए बैठी है दिल में प्यार का आसमां लिए बैठी है

समाज में एक ओहदा, एक मुक़ाम लिए बैठी है कभी अपने हुस्न का जाम लिए बैठी है दूसरों के गुनाहों का अंजाम लिए बैठी है कभी रोटी के लिए खुद की नुमाइश का ज़िम्मा, सरेआम लिए बैठी है

अपने हक़ीक़त को ख़ामोशी से बयां किए बैठी है न जाने क्यों ख़ुद को मार कर, औरों के लिए जिए बैठी है ये जनंनी बन अपने अंदर ममता बेपनाह लिए बैठी है ख़ुदा की नायाब नेमतें, बेइंतेहां लिए बैठी है

मनीष राज

©Manish Raaj
  #औरत
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Manish Raaj

शक़्स
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मेरा अरमान है तू, मेरा भगवान भी तू इसके आगे अब मैं तुझसे और क्या कहूँ

दिल की धड़कन है तू, रूह की तड़पन भी तू मेरी हर साँस मैं तुझको अर्पण करूँ

मेरा दर्पण है तू, मेरी जुबाँ भी तू तेरे अल्फ़ाज़ सदा सर-आँखों पर रखूँ

मेरी पहचान है तू, मेरा वरदान भी तू तेरी मुस्कान से हमेशा मैं धन्वान रहूँ

मेरी दौलत है तू, मेरी शौहरत भी तू आबाद तू रहे ख़ुदा से इतनी मैं अरदास करूँ

मेरा हमराज़ है तू, मेरा हमसफ़र भी तू ता-उम्र मैं तेरे दिल की पनाह में रहूँ

मनीष राज

©Manish Raaj
  #शक़्स
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Manish Raaj

दोस्त
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सूरज तो नहीं, जो हर दिन तुम्हारी ज़िंदगी रौशन कर दे मैं दिया ही सही, जिसकी लौ हर लम्हा तुम्हें अँधेरे से मेहफूज़ रखेगी

चाँद तो नहीं, जो अपनी चाँदनी के नूर से तुम्हें जंवा और खूबसूरत रखेगी मैं सितारा ही सही, जिसके टूटने से ख़ुदा तुम्हारी दुआ कुबूल करेगा

समन्दर तो नहीं, जिसकी हर लहर तुम्हें मुस्कान और सुकून का एहसास कराए नदी ही सही, जो तुम्हारी प्यास तो बुझा सकता है

हमसफ़र तो नहीं, जो ता-उम्र साथ निभाए मैं हमराज़ ही सही, जो तुम्हारे दामन में खुशियाँ भरे और हर दर्द-ओ-ग़म बाँट ले

मनीष राज

©Manish Raaj
  #दोस्त
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Manish Raaj

एहसास
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एक उम्र गुज़र गई ख़ुद को एक मुक़ाम पर लाने में कई हिस्सों में बँट गए हम रिश्तों को निभाने में

सितम इतने सहे, ख़ुशी की जगह दर्द नज़र आने लगा है मुस्कुराने में रिश्तों की रंजिश और ज़िंदगी की बंदिश में प्यार जैसे फ़ना हो गया है इस ज़माने में

हालात ऐसे हुए की ख़ुद को भुला दिया नाम कमाने में चाँद की रौशनी में नज़रअंदाज़ कर दिया सितारों को अंजाने में !

क़ाश पनाह मिले इस मन को किसी के दिल में, बहुत तन्हा रह लिया आशियाने में ग़ौर से देखो तो शम्मा और परवाने दोनों ही जलते हैं एक दुसरे को आज़माने में

क़द्र नहीं है ये जान कर भी न जाने क्यूँ करता हूँ क़ोशिश जज़्बातों को समझाने में ये मेरे बस में नहीं कि नज़ारा हमेशा एक सा रहे नज़रों के शामियाने में

मनीष राज

©Manish Raaj
  #एहसास
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Manish Raaj

ज़ुबाँ
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उनकी जुबाँ किसी अल्फ़ाज़ की मोहताज नहीं मुस्कुराहट उनकी सारी दास्ताँ बयाँ कर देती है

मनीष राज

©Manish Raaj
  #ज़ुबाँ
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