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ना काम से ना हराम से कोई इच्छा नहीं बदनाम से तुम

ना काम से
ना हराम से
कोई इच्छा 
नहीं बदनाम से
तुम छू लेना मैं छू लूंगा 
खुदा खुदा के नाम से
.
. 
. 
हमको गंगा का घाट मिले |

पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें 

समा नहीं सकता 
शब्दों में है
जो मेरे तन के अंदर 
मन के अंदर 
मंदिर के अंदर
ना काम से
ना हराम से
कोई इच्छा 
नहीं बदनाम से
तुम छू लेना मैं छू लूंगा 
खुदा खुदा के नाम से
.
. 
. 
हमको गंगा का घाट मिले |

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समा नहीं सकता 
शब्दों में है
जो मेरे तन के अंदर 
मन के अंदर 
मंदिर के अंदर

समा नहीं सकता शब्दों में है जो मेरे तन के अंदर मन के अंदर मंदिर के अंदर