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बात दिल की कोई अन-कही रह गई होंठ चुप और नज़र ये झ

बात दिल की कोई अन-कही रह गई 
होंठ चुप और नज़र ये झुकी रह गई,

ख़त का हर हर्फ़ हम ने जलाया मगर 
लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ वाबस्तगी रह गई,

भीगी इन पलकों से ये बयाँ हो गया 
कोई ख़्वाहिश कहीं इक दबी रह गई,
 
यूँ तो हासिल जहाँ में हुआ सब मगर 
ये किताब-ए-तमन्ना खुली रह गई…

©bashir khan
  #बात दिल की
bashirkgan7012

bashir khan

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#बात दिल की #शायरी

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