एक ख़्वाब देखा था खुली आँखों से तेरे अक्स की इनायत थी जिसमे कदमों में तेरे सारा जहाँ था तेरी मासूमियत सी रिवायत थी जिसमे एक ख़्वाब देखा था खुली आँखों से ज़र्रा-ज़र्रा महकता था तेरे शबाब सा जिसमे होठों को तेरे खुशियों ने छुआ था तेरे इत्र का छाया रुआब था जिसमे एक ख्वाब देखा था खुली आँखों से तेरी घनी ज़ुलफों के साए मेरे साथ था जिसमे पलकों पे तेरे अरमानो का अंबार था उनको पूरा करने तेरे हाथों में मेरा हाथ था जिसमे एक ख़्वाब देखा था खुली आँखों से इन बातों का वजूद महज़ एक कल्पना था जिसमे तेरे साथ खुशियों का दामन था मैं एक अधूरे हिस्से का सपना था जिसमे सपनों के आकार कई, आयाम कई, संसार कई। #needless_thoughts #lone_sailor #unseen_dreams