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आंखों से दरिया। बह रहा है आंखों से दरिया लगता ह

आंखों से दरिया।  

बह रहा है आंखों से दरिया
लगता है सालों से रोया नहीं है।  

दिन भर किसी कोने में गुमशुदा है 
लगता है कई रातों से सोया नहीं है।  

झांककर देखता डरा सा सबको 
लगता है ज़िंदगी भर कुछ खोया नहीं है।  

बह रहा है आंखों से दरिया
लगता है सालों से रोया नहीं है।  

तनहा ही सबसे लड़ने की फ़ितरत पाल रखी है 
लगता है अपनों से धोखा खाने की आदत नहीं है।

लाल खून सुर्ख सब तरफ बिखरा पड़ा है 
लगता है तुमने अभी तक गम धोया नहीं है।  

बह रहा है आंखों से दरिया
लगता है सालों से रोया नहीं है।  
©तनहा शायर हूँ १७/०३/२०२१

©Tanha Shayar hu Yash
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