दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीज़िए, दुश्मनी भी थोडी महफूज कीज़िए, रज़ा मेरी भी अपने करीब कीज़िए नजर से बेरुखी थोडी दूर कीज़िए आज हूँ कल नही ये अभी छोड़िए मुझे भी अपना नसीब समझिये, मिलें हैं बनके ख़ुदा तो एहतराम कीजिए आज से ये जिंदगी मेरे नाम कीजिए, मिलें हैं चाहतो से ये दिल के फसाने, यूँ ना दौलत से निगेबाँ कीजिए ,, दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीजिए दुश्मनी भी थोडी महफूज कीजिए,, महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीज़िए, दुश्मनी भी थोडी महफूज कीज़िए, रज़ा मेरी भी अपने करीब कीज़िए नजर से बेरुखी थोडी दूर कीज़िए आज हूँ कल नही ये अभी छोड़िए मुझे भी अपना नसीब समझिये,