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मैं रोया था। जब भूखा पेट सोया था। अपसोस इस बात क



मैं रोया था।
जब भूखा पेट सोया था।
अपसोस इस बात का
मेरे पास सब होकर भी
कुछ नहीं पास था।
अब मैं, अपने आप को तोड़ता हूं
देखता हूं की मैं कितना टूट सकता
ओर कब तक आंखो से बहता हुआ
अश्क को रोक सकता हूं 
कब तक दूसरों के चेहरों
पर मुस्कान का कारण बन सकता हूं।
हां, मैं रोया था।

©मुसाफिर
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