सिर्फ उसके एक दीदार के लिए वो प्यासी हो गयी उसके सलामती के दुआओ के लिए अंधविश्वासी हो गयी वो निष्पक्ष,निस्वार्थ प्रेम में डूबी रही उम्र भर जो कभी मंदिर नही जाती थी,आज दासी हो गयी ! अंधविश्वासी !