चांद रात के अंधेरे में जो चांद आया था। मुझको देखकर वो थोड़ा तो मुस्कुराया था। चुपके से उसने पूछा कुछ मुझसे? प्यार करती हो क्या तुम किसी से धीमा सा मुस्कुराई में , चांद सा शर्माई में। उसको देखकर थोड़ा सा घबराई में। इतनी चांदनी कहा से लाते हो तुम? खुद को देखकर क्या नहीं घबराते हो तुम? हस्ता चांद बोला मुझसे ... ना में घबराता हूं ! ना में शर्माता हूं। बस तुझको इतना बतलाता हूं। चांदनी बाटना काम है मेरा। उसको देख मुस्कुराना काम है तेरा। रात के अंधेरे में जो चांद आया था। उसको देखकर तो तू भी मुस्कुराया था। ना घबरा इस चांदनी से जो सबको चमक देती है। दूसरों के दुखों की नमी सोख लेती है। चांद #चांद #नमी #चमक #घबरा #सोख #रात #अंधेरे #मुस्कुराया #शर्माई #प्यार