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बुढ़ापा (बुजुर्ग) मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,

बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

दूजे ही पल में लौट वापिस,
सोचा जो पल है वो जी ले अभी,
कल का क्या है क्या पता क्या हो,
जितने भी पल है वो जी ले अभी,
भूल बुढ़ापा जी ले जवानी लौट ना आएगी ये फिर कभी,
तू भी है मैं भी हूँ सब है यहीं,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

जाना है सबको इक दिन यहाँ से,
फिर क्यो तू सोचे अभी,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन बनी,
हँस ले गा ले मुस्कुराले ये ज़िन्दगी मिलेगी ना फिर कभी,
मालूम है मुझकों ढलना है एक दिन...
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन... बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

दूजे ही पल में लौट वापिस,
सोचा जो पल है वो जी ले अभी,
कल का क्या है क्या पता क्या हो,
जितने भी पल है वो जी ले अभी,
भूल बुढ़ापा जी ले जवानी लौट ना आएगी ये फिर कभी,
तू भी है मैं भी हूँ सब है यहीं,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

जाना है सबको इक दिन यहाँ से,
फिर क्यो तू सोचे अभी,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन बनी,
हँस ले गा ले मुस्कुराले ये ज़िन्दगी मिलेगी ना फिर कभी,
मालूम है मुझकों ढलना है एक दिन...
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन... बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,

बुढ़ापा (बुजुर्ग) मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी, सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे , कैसी हमारी शक्ले होंगी, हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, #yqbaba #yqdidi #मुस्कुराहट #बुढापा #pchawla16 #yqpowrimo