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Best बुढापा Shayari, Status, Quotes, Stories

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Vijay Vidrohi

मां-बाप #बुढापा #PARENTS #my #New #poem Poetry #shayri Love Life #RespectYourParents

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बड़ी मेहनत से मांगते हैं 
बड़ी उम्मीद से पालते हैं 
सपने संजोते हैं
 कड़ी मेहनत करके 
पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाते हैं।
 यह सोचकर कि बड़े होकर
 हमारी औलाद हमें बुढ़ापे में सेवा करेगी। 
सुख मिलेगा!
लेकिन 3-3 4-4 बेटे-बहु होने 
के बाद भी उनको दो रोटी दो वक्त की 
रोटी मयस्सर नहीं हो पाती।
मां बाप बोझ बन जाते हैं 4-4 
औलादों का पेट भरने वाले मां-बाप
 बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं।
 ऐसी औलादों से तो बे-औलाद ही अच्छा है।

©Vijay Vidrohi मां-बाप #बुढापा #PARENTS #my #New #poem #Poetry #shayri #Love #Life #RespectYourParents

Vijay Vidrohi

#बुढापा #viral Life Poetry #poem Love #PARENTS #RESPECT #

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Rawat Vikram

Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

Vikram Rawat

sidaq_rizaq_sabar

बाप की डांट और भाइयों की...
आनाकानी के साथ बचपन गुज़र गया,
पति की बेमतलब मार खाते खाते...
जवानी गुज़र गई,
और औलाद की धौंस, 
सहते सहते...बुढापा।

 #लाइफ #औरत #बचपन #जवानी #बुढापा

Pankaj Singh Chawla

बुढ़ापा (बुजुर्ग) मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी, सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे , कैसी हमारी शक्ले होंगी, हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, #yqbaba #yqdidi #मुस्कुराहट #बुढापा #pchawla16 #yqpowrimo

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बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

दूजे ही पल में लौट वापिस,
सोचा जो पल है वो जी ले अभी,
कल का क्या है क्या पता क्या हो,
जितने भी पल है वो जी ले अभी,
भूल बुढ़ापा जी ले जवानी लौट ना आएगी ये फिर कभी,
तू भी है मैं भी हूँ सब है यहीं,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी...

जाना है सबको इक दिन यहाँ से,
फिर क्यो तू सोचे अभी,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन बनी,
हँस ले गा ले मुस्कुराले ये ज़िन्दगी मिलेगी ना फिर कभी,
मालूम है मुझकों ढलना है एक दिन...
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन... बुढ़ापा (बुजुर्ग)

मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,
फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी,
सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे ,
कैसी हमारी शक्ले होंगी,
हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा,
मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,

Dharm Desai

वो देख रहे हो! हा, उनकी ही बात है।
वो कल भी साथ थे, आज भी साथ है।
उम्र बीत जाएगी, हाथ छूट जायेंगे; फिर भी,
मन मे जीने की छोटी सी आस है, वो 
कल भी साथ थे वो आज भी साथ है।

कांधे,गर्दन ज़ुक जाएँगे। 
लाठी भारी हो जाएगी।
दिल कमज़ोर होगा! फिर भी,
साड़ी तुमपे वो भाएगी!
ये उनका अंदाज़ था अपना ये आगाज़ है,
 कल भी साथ थे वो आज भी साथ है।
#dharmuvach✍ #साथ 
#कलभीरहेगा 
#कलभीआजभी
#आजभी 
#dharmuvach 
#बुढापा 
#यकहिन्दी 
#हिन्दीकविता

Anamika

#cinemagraph #गूंगा #बुढापा जीते-जी औलाद देती नहीं दाना, मरने पे खिलाती लोगों को खाना... #अंतिम_सत्य #जीवनधारा #तूलिका

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बोलने पे हर कोई पत्थर मार गया
   बन गूंगा वो सबको भा गया...  #cinemagraph
#गूंगा
#बुढापा 
जीते-जी औलाद देती नहीं दाना,
मरने पे खिलाती लोगों को खाना...
#अंतिम_सत्य 
#जीवनधारा 
#तूलिका

Durga Banwasi Shiwakoti

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