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Vijay Vidrohi
बड़ी मेहनत से मांगते हैं बड़ी उम्मीद से पालते हैं सपने संजोते हैं कड़ी मेहनत करके पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाते हैं। यह सोचकर कि बड़े होकर हमारी औलाद हमें बुढ़ापे में सेवा करेगी। सुख मिलेगा! लेकिन 3-3 4-4 बेटे-बहु होने के बाद भी उनको दो रोटी दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं हो पाती। मां बाप बोझ बन जाते हैं 4-4 औलादों का पेट भरने वाले मां-बाप बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं। ऐसी औलादों से तो बे-औलाद ही अच्छा है। ©Vijay Vidrohi मां-बाप #बुढापा #PARENTS #my #New #poem #Poetry #shayri #Love #Life #RespectYourParents
Vijay Vidrohi
कई मां-बाप औलाद ना होने पर रोते हैं और कई मां-बाप औलाद के होते हुए भी रोते हैं... 😟😟😥😥😥😥😥😟😟 ©Vijay Vidrohi #बुढापा #viral #Life #Poetry #poem #Love #PARENTS #RESPECT #
Asha...#anu
बुढापा हो या बीमारी ये तो हैं इन्सान की सबसे बड़ी लाचारी... बचपन हो.... या जवानी... महोब्बत की ना होती हैं कभी कमी... बस पल दो पल के वक्त से शायद.... मीट जाएँ थके हुए उन आखों की नमी....!!! ©Asha...#anu बुजुर्ग इंसान को बस औरों का वक्त चाहिए होता हैं। बस प्यारी बातों से ही तो वो खिल उठते है। #बुढापा #नोजोटो #नोजोटोराइटर्स #Hope
बुजुर्ग इंसान को बस औरों का वक्त चाहिए होता हैं। बस प्यारी बातों से ही तो वो खिल उठते है। #बुढापा #नोजोटो #नोजोटोराइटर्स #Hope
read moreAnupam Tiwari
बुढा बाप समझा मुकद्दर संभल गया, मगर बेटे मिली नौकरी तो घर से निकल गया। ©Anupam Tiwari #बाप #बुढापा #बेटा #जिंदगी #दर्द #नौकरी #घर
Dr. Kundan Singhania
ऐ खुदा,,, जिंदगी भर जिंदगी का हिसाब करने को कहा, और तुमने न किया/ आज मेरे बच्चे ने ही मेरे पूरी जिंदगी का हिसाब किया,, तुमने किया ही क्या?? ©Kundan Singhania #ओल्डेज #बाप #बुढापा #Life
Mohsin Mandli
वो तरक्क़ी किस काम की? जो बुढ़ापे में माँ-बाप का सहारा ना बन सके #old #बुढापा #माँ #बाप Sher-o-shayeri Writer Amni A Story _sufi akhtar_official✍️ Shaikh Irfanaa Huma Malik Sher-o-shayeri
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
जवानी में बुढापे के लिये कुछ लिख रहा हूँ, बुढापा देख उनका, आज फिर कुछ कह रहा हूँ, जो होते थे शहंशाह यूँ, कभी अपनी जवानी में, नैन उनके भिगे मुझको दिखे थे आज पानी में. कदम जिनके बने पथ उन हजारों के लिये, हुवे लाचार क्यूँ अब लडखडाने के लिये, जुँबा जो थी बुलंदी पर अडिग थे फैसलों पर, न जाने क्यूँ सिसकती हैं जरा से फासलों पर. कभी होते खडे जो दूसरों के वास्ते , वही लाचार हैं अब देखने को रास्ते. विधाता का ये कैसा खेल कैसा चक्र है, बिना तेरे मुझे इस जिंदगी पे फक्र है. #बुढापा#