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मैं हूँ किस हाल में कोई नहीं जानता टूटता क्या है भ

मैं हूँ किस हाल में
कोई नहीं जानता
टूटता क्या है भीतर मेरे
रिसता क्या है भीतर मेरे
कोई नहीं जानता
मेरी शक्ल भी अब
मेरा ही आईना नहीं पहचानता
कहाँ है ठिकाना मेरा
कहाँ है बसेरा मेरा
मेरे घर की चौखट 
अब कहाँ कोई लांघता
मेरा जिकर अब 
किसी चौपाल में है ही नहीं
मेरी फ़िकर अब
मेरे अपनों को है ही नहीं
मेरी गुमशुदगी की  ख़बर अब
कोई अखबारों में छपवाता नहीं
दीवारों पे चस्पाता कोई नहीं
मैं नहीं मानता कि कोई मुझे नहीं जानता
बूढ़ा हो गया हूँ शायद इसलिए 
कोई नहीं पहचानता
कोई नहीं जानता--अभिषेक राजहंस कोई नहीं जानता
#Nojoto
मैं हूँ किस हाल में
कोई नहीं जानता
टूटता क्या है भीतर मेरे
रिसता क्या है भीतर मेरे
कोई नहीं जानता
मेरी शक्ल भी अब
मेरा ही आईना नहीं पहचानता
कहाँ है ठिकाना मेरा
कहाँ है बसेरा मेरा
मेरे घर की चौखट 
अब कहाँ कोई लांघता
मेरा जिकर अब 
किसी चौपाल में है ही नहीं
मेरी फ़िकर अब
मेरे अपनों को है ही नहीं
मेरी गुमशुदगी की  ख़बर अब
कोई अखबारों में छपवाता नहीं
दीवारों पे चस्पाता कोई नहीं
मैं नहीं मानता कि कोई मुझे नहीं जानता
बूढ़ा हो गया हूँ शायद इसलिए 
कोई नहीं पहचानता
कोई नहीं जानता--अभिषेक राजहंस कोई नहीं जानता
#Nojoto