मैं हूँ किस हाल में कोई नहीं जानता टूटता क्या है भीतर मेरे रिसता क्या है भीतर मेरे कोई नहीं जानता मेरी शक्ल भी अब मेरा ही आईना नहीं पहचानता कहाँ है ठिकाना मेरा कहाँ है बसेरा मेरा मेरे घर की चौखट अब कहाँ कोई लांघता मेरा जिकर अब किसी चौपाल में है ही नहीं मेरी फ़िकर अब मेरे अपनों को है ही नहीं मेरी गुमशुदगी की ख़बर अब कोई अखबारों में छपवाता नहीं दीवारों पे चस्पाता कोई नहीं मैं नहीं मानता कि कोई मुझे नहीं जानता बूढ़ा हो गया हूँ शायद इसलिए कोई नहीं पहचानता कोई नहीं जानता--अभिषेक राजहंस कोई नहीं जानता #Nojoto