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मुसलसल खो जाता हूं तेरी तलाश में जब भी खुद को अके

मुसलसल खो जाता हूं
तेरी तलाश में 
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
कहीं खुद से ही मिल जाता हूं 
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
धरातल की खुशबू अलग ही पाता हूं
मिट्टी हाथों में लिए उसको चूम जाता हूं
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
मेहताब का मुआयना बदल जाता है मेरे नज़रिए से
जब भी अकेले पन्न में उसको घूरता जाता हूं
कड़ी धूप में भी चल लेता हूं ठंडी छांव समझ 
क्या कहूं मैं गर्मी भूल जाता हूं
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
मूसलसल खो जाता हूं जब भी 
खुद को अकेला पाता हूं। #daastaneishq 
मुसलसल खो जाता हूं.
मुसलसल खो जाता हूं
तेरी तलाश में 
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
कहीं खुद से ही मिल जाता हूं 
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
धरातल की खुशबू अलग ही पाता हूं
मिट्टी हाथों में लिए उसको चूम जाता हूं
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
मेहताब का मुआयना बदल जाता है मेरे नज़रिए से
जब भी अकेले पन्न में उसको घूरता जाता हूं
कड़ी धूप में भी चल लेता हूं ठंडी छांव समझ 
क्या कहूं मैं गर्मी भूल जाता हूं
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
मूसलसल खो जाता हूं जब भी 
खुद को अकेला पाता हूं। #daastaneishq 
मुसलसल खो जाता हूं.
sujeetjha1883

Sujeet Jha

New Creator