एक विपदा, एक परेशानी अगर एक ही हो तो निपटारा करूँ हर मुश्किल लौट लौट के आ रही हर मुश्किल से क्यों दोबारा लड़ूँ शहर की खानाबदोशी ने कभी नही ठहराव दिया जब भी प्यार से जीना चाहा ज़िंदगी ने गहरा घाव दिया एक ही किस्सा, एक ही कहानी अगर एक ही हो तो संवारा करूँ हर पल बदल रही दास्तां मेरी खुद के लिए जो करूँ, ना गवारा करूँ शहर की तरह रातों ने कभी नही दोस्ती का हाथ दिया जब भी निभानी चाही यारी महफिलों से हर किसी ने छोड़ मेरा साथ दिया। गहरा घाव #संतोष_भट्ट_सोनू #santosh_bhatt_sonu