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जहां भी देखो फैशन की मार है, सरेआम होते हुए बेइज्ज

जहां भी देखो फैशन की मार है,
सरेआम होते हुए बेइज्जत यह कैसा प्यार है।
भारतीय परिधान को छोड़ रहे हैं
 चाहे नर हो या नार,
यह कैसा छाया खुमार  ?
अश्लीलता की हदें कर देते पार हैं,
जवानी में नहीं करते सोच विचार हैं।
नारियों पर दिन प्रतिदिन होते अत्याचार हैं,
नारियां फिर होती 
अनहोनियों का शिकार हैं।
तन पर आधा कपड़ा 
ऊंची सलवार है,
भारतीय संस्कृति को करते तार-तार हैं।
नीची हो जाती है 
माता-पिता की नजर,
फैशन का दौर है
 जहां नजर घुमाओ उधर।
इस बेदर्द जमाने में 
भावनाओं की नहीं है कोई कदर,
मानव इंसान से बन जाता है जानवर।
सादगी में रहो
 दिखाओ शिष्टाचार,
नहीं होगा किसी बहन- बेटी पर कोई अत्याचार।
जिंदगी नहीं मिलती है बार-बार,
अपनी इज्जत से करो सभी प्यार।

©Shishpal Chauhan
  #प्यार और फैशन

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