नयन तुम्हारी आशा में उलझाए तुम पुकारो तो सही प्रिये कितनी भी कठिन डगर हो प्रिय हम उस पार लाँग जाएगें प्रिय आशा ओढ़े मन नयन अश्रु में भिगोए तुम्हारी एक झलक को तड़पते प्रिय भरे सावन में मन पतझर सा प्रिय क्यूँ ना तुम लौट आओ मेरे सावन प्रिय, ©Kavitri mantasha sultanpuri #मेरे_सावन_प्रिय #KavitriMantashaSultanpuri