आसान मंज़िल दिल धड़कता था यूं तो मेरा पर, हमें धड़कनों का इल्म न था। ज़िंदा तो थे तब भी मगर, जिंदगी के मायनों का इल्म ना था। इश्क का नाम सुन रखा था हमने कहीं, मगर आशिकी का जैसे पता न था, बात तो तब भी करने आती थी मगर, शब्दों कि एहमियत का अंदाजा ना था। ख्याल तो तब भी आते थे मगर, जज़्बात बयान करने का अंदाज न था, यूं नहीं था कि इंसान बुरे थे मगर जब तक कविता कि समझ ना थी, तब तक आदमी ज़रा नासमझ था। यह तो शेरों शायरी ने संभाल रखा है हमें, वरना अभिषेक तो आदमी ही बदजुबान सा था। #worldpoetryday #poetry #quotes #shayari #pieces #random #writings