एक तेरा मुस्कुराना,ऊपर से लहराते तेरे केश, मैं तुझे पाने को बेचैन, कभी न रुकने वाली दिल्ली सा, और तू सभी भावनाओं से मुक्त शांत ऋषिकेश।। चाहत मे तेरी बेचैन मैं,जैसे सब कुछ पा लिया हो, अब बस तुझे पाना ही रह गया हो शेष।। मैं तुझे पाने को बेचैन, कभी न रुकने वाली दिल्ली सा, और तू सभी भावनाओं से मुक्त शांत ऋषिकेश।। हूँ दीवाना तेरा,बस तेरी ही चाहत है मुझे, तू यादों मे हरपल मेरी , बस तेरी ही आदत है मुझे।। बस रूठना मत कभी भी मुझसे,मुझे मनाना नहीं आता, दिल मे ही दबा लेता हूँ इश्क़ अपना,मुझे जताना नहीं आता। बहुत मोहब्बत है तेरे लिए,बस मुझे सुनाना नहीं आता।। और क्या बताऊँ अपने बारे मे विशेष, मैं तुझे पाने को बेचैन, कभी न रुकने वाली दिल्ली सा, और तू सभी भावनाओं से मुक्त शांत ऋषिकेश।। दुआ मेरी कि कभी मुक्कमल मेरा इंतज़ार हो, आज नहीं तो कल,तेरी आँखों मे मेरे लिए प्यार हो। तू शांत कोई बहती नदी,मैं बेचैन समुन्द्र की लहर, पाने का तुझे लोभ नहीं,पर खोने का दिल मे कहर।। उम्मीद ये ही,आज नहीं तो कल होगा तेरे भी दिल मे मेरा आवेश, पर आज तो मैं बेचैन,कभी ना रुकने वाली दिल्ली सा, और तू सभी भावनाओं से मुक्त शांत ऋषिकेश।। #ऋषिकेश #दिल्ली #प्रेम