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★अमर मसीहा भगतसिंह★ ●●●●●●●●●●●●●●● उसने फंदे से इ

★अमर मसीहा भगतसिंह★
●●●●●●●●●●●●●●●
उसने फंदे से इश्क़ लड़ाया था, 
जवानी को हंसकर सूली चढ़ाया था, 
भारत की आन-बान-शान को बचाया था, 
तिरंगे झंडे को अपना कफन बनाया था।। 

हमारे सर पर कर्ज है उनकी चीखों का, 
हमारा हृदय आभारी है उनकी सीखों का, 
आसान नहीं था क्रांतिकारी बनकर जीना, 
हमारी खुशियों के खातिर, मौत को गले लगाया था।। 

जैसे "रांझा"को "हीर"के लिए तरसाया था, 
उसने आजादी का वतन से वो वादा निभाया था, 
मज़हब के झगड़ों ने ऐसा कहर मचाया था, 
इंसानियत के रिश्तों को भरमाया था।। 

कुछ लोगों ने स्वार्थवश सियासती माहौल बनाया था, 
अपने - अपने सिर पर  ताज लगाने के लिए, 
अंखड भारत के सपनों को दाव पर लगाया था,
जन-जन के ह्रदय को इस तरह रूलाया था।। 

सबको बस अपनी-अपनी बातों को मनवाना था, 
सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत को कई टुकड़ों में बंटवाया था, 
लेकिन सच्चा वीर भगतसिंह हुआ अवतरित,
जिसने हम सबको देशभक्ति का पाठ सिखलाया था।

--Vimla Choudhary 
28/9/2020 #  Kapil Nayyar ~Real Poetry~ प्रदीप भारद्वाज "हुड़दंगी" #minaक्षी🖤[Ashi]  Anshula Thakur
★अमर मसीहा भगतसिंह★
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उसने फंदे से इश्क़ लड़ाया था, 
जवानी को हंसकर सूली चढ़ाया था, 
भारत की आन-बान-शान को बचाया था, 
तिरंगे झंडे को अपना कफन बनाया था।। 

हमारे सर पर कर्ज है उनकी चीखों का, 
हमारा हृदय आभारी है उनकी सीखों का, 
आसान नहीं था क्रांतिकारी बनकर जीना, 
हमारी खुशियों के खातिर, मौत को गले लगाया था।। 

जैसे "रांझा"को "हीर"के लिए तरसाया था, 
उसने आजादी का वतन से वो वादा निभाया था, 
मज़हब के झगड़ों ने ऐसा कहर मचाया था, 
इंसानियत के रिश्तों को भरमाया था।। 

कुछ लोगों ने स्वार्थवश सियासती माहौल बनाया था, 
अपने - अपने सिर पर  ताज लगाने के लिए, 
अंखड भारत के सपनों को दाव पर लगाया था,
जन-जन के ह्रदय को इस तरह रूलाया था।। 

सबको बस अपनी-अपनी बातों को मनवाना था, 
सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत को कई टुकड़ों में बंटवाया था, 
लेकिन सच्चा वीर भगतसिंह हुआ अवतरित,
जिसने हम सबको देशभक्ति का पाठ सिखलाया था।

--Vimla Choudhary 
28/9/2020 #  Kapil Nayyar ~Real Poetry~ प्रदीप भारद्वाज "हुड़दंगी" #minaक्षी🖤[Ashi]  Anshula Thakur