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मरने की बाद की जिंदगी के बारे में सोंचता हूँ, तो

मरने की बाद की जिंदगी के बारे में सोंचता हूँ,
 तो डर सा जाता हूँ, 
कैसी होगी वो जगह जहाँ माँ-बाप ना हो, 
माँ-बाप ना जहाँ कोई अपना न हो, 
इक पल को यों मैं अपनों के बिना मैं रह सकता हूँ, 
पर कैसे रहूँगा उनके बिन, 
उनके बिन जो सांस है मेरी, 
इसलिए जहाँ जिंदा हूँ वही रह सकता हूँ, 
कभी तो यहाँ भी जिंदगी होगी, 
जरूरी नहीं यह आज जैसी है वैसी कल भी होगी|

 जिंदगी है तो यही
मरने की बाद की जिंदगी के बारे में सोंचता हूँ,
 तो डर सा जाता हूँ, 
कैसी होगी वो जगह जहाँ माँ-बाप ना हो, 
माँ-बाप ना जहाँ कोई अपना न हो, 
इक पल को यों मैं अपनों के बिना मैं रह सकता हूँ, 
पर कैसे रहूँगा उनके बिन, 
उनके बिन जो सांस है मेरी, 
इसलिए जहाँ जिंदा हूँ वही रह सकता हूँ, 
कभी तो यहाँ भी जिंदगी होगी, 
जरूरी नहीं यह आज जैसी है वैसी कल भी होगी|

 जिंदगी है तो यही