मेरी समझाइश की अब जरूरत नहीं रही मै तुम्हे पहले ही काफी पका चुका हूँ क्यो तुम मुझे फिर आज़माना चाहते हो क्या तुम नहीं जानते कि मै अपना मरण घोषित कर चुका हूँ मेरी तरफ किसीका ध्यान नहीं मै तो बुत बना कबसे खड़ा हूँ क्या वक़्त ये नहीं देख रहा कि मै कैसा इम्तहाँ दे रहा हूँ? मुझे तुम हर वक़्त साथ क्यो नहीं रखते जबकि तुम कहते हो मै तुम्हारी ही परछाई हूँ क्यो मुझे तुम राह से हटा नहीं देते जबकि मै तुम्हारी राह मे पथर बन करअर्से से पड़ा हूँ ©Parasram Arora मेरी समझाइश