रूह बिकती है और ईमान यहां बिकता है। जिस्म बिकता है और जान यहां बिकता है। क्या नहीं बिकता है बाज़ार में इस दुनिया के- आदमी के शहर में भगवान यहां बिकता है। रिपुदमन झा "पिनाकी" धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #बाज़ार