शाम से खड़ा हूँ तुम्हारें खिड़कियों पर पूनम का चाँद बन कर। छोड़ दो अलसाई निद्रा,अब न लेटो,भ्रमरों की दुल्हन बनकर। आज नही आयेंगे भ्रमर तुम्हें;रसपान करने तुम्हारें प्रेमी बनकर। आज आसमां में छाए हैं मेघ,सूरज की किरणों को रोक कर। चलो अब तो तोड़ो निद्रा कर लो हमसे भी थोड़ा सा प्यार अजनवी बनकर। मैं साम से खड़ा हूँ,तुम्हारें खिड़कियों पर,तुम्हारा चाँद बनकर। साम से खड़ा हूँ तुम्हारें खिड़कियों पर!!