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कलम वाह! री कलम।तेरा भी कोई जवाब नहीं। तुझ में हर

कलम
वाह! री कलम।तेरा भी कोई जवाब नहीं। तुझ में हर हुनर है। तुझ में हंसाने,रुलाने जगाने,सुलाने और पानी में आग लगाने का भी हुनर है। दिल की बातें, मन के विचार, शायर की गजल, कवि की कविता,ये सारे तुम्हीं से संवरते हैं। तुम न होती तो क्या होता। लेखक, कवि ,शायर, गीतकार कहां जाते। जब दिल और मन की बातें खूबसूरत शब्दों का श्रृंगार करके कलम के रास्ते किसी के दिल में उतरता है तो बड़ा ही असरदार होता है। तुम ऐसी मौन प्रखर वक्ता हो जो खामोश होकर भी अपना शानदार हुनर बिखेरती हो। * ना चिट्ठी ना संदेश, तुम गए कौन सा देश, तुम तो चले गए* ये पंक्ति कलम से नहीं सामने आई होती तो दिल को नहीं छू पाती। न जाने ऐसे कई अनगिनत रचनाएं हैं जिन्हें पढ़ने पर इन्सान किसी और दुनिया में चला जाता है। तुम अनमोल हो। मनभावन हो। *कलम आज तेरी जय बोल*।

©नागेंद्र किशोर सिंह
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