इक बहती हवा के झोको सी तुम आई थी मेरे जीवन में... कुछ लफ्जो में क्या बयां करे... कुछ लफ्ज़ नहीं है सीने में... इक बहती हवा के झोको सी तुम आई थी मेरे जीवन में... कुछ लम्हों का ही साथ रहा... कुछ लम्हों में ही बिछड़ गये... तुम हो दरिया के उन लहरों सी... जो आयी पल भर थमी नहीं... इक बहती हवा के झोको सी तुम आयी थी मेरे जीवन में... कुछ लम्हों का ही खेल रहा... अब लम्हे बचे ना शेष रहे... तुम हक़ीक़त से लम्हा - लम्हा... हो शायद में क्यूँ बदल रहीं... इक बहती हवा के झोको सी तुम आयी थी मेरे जीवन में... Adarsh✍ ©sayar Adarsh Mishra #sayarilover #sayaradarshmishra