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मन की ना जाने किन गुमशुदा गलियों में भटकता रहता है

मन की ना जाने किन गुमशुदा गलियों में भटकता रहता हैं ये दिल
जुबां तो ख़ामोश होती हैं मगर कुछ कहता है ये दिल

सब अपनों को खुश देखने की चाहत रखता है ये दिल
लेकिन कभी अपनी खुशियों को नहीं देखता है ये दिल

गैरों को भी अपनी दुआओं में शामिल करता है ये दिल
दूसरों की खुशियों के लिए हर पल तत्पर रहता हैं ये दिल 

बस अपनी ज़िंदगी का कोई मक़सद ढूंढता है ये दिल
गर मुट्ठी भर खुशी मिल जाए ये सोचता है ,ये दिल

सपनों को कभी कभी हक़ीक़त समझने लगता हैं ये दिल
भला इतना नादान  भी कैसे हो सकता है ये दिल       

इस सऺगेमरमर जैसी ज़िंदगी में फूल ढूंढता है ये दिल
गलती से भी मुस्कुरा दूं तो हर्जाना मांगता है ये दिल

और क्या कहूं की इतना ही मासूम और भोला है ये दिल
इसलिए तो अब बिल्कुल ख़ामोश रहने लगा है ये दिल।

©Sadhna Sarkar #celebration #ankahe-jazbat
ना जाने क्या क्या सोचता है ये दिल 🌺
मन की ना जाने किन गुमशुदा गलियों में भटकता रहता हैं ये दिल
जुबां तो ख़ामोश होती हैं मगर कुछ कहता है ये दिल

सब अपनों को खुश देखने की चाहत रखता है ये दिल
लेकिन कभी अपनी खुशियों को नहीं देखता है ये दिल

गैरों को भी अपनी दुआओं में शामिल करता है ये दिल
दूसरों की खुशियों के लिए हर पल तत्पर रहता हैं ये दिल 

बस अपनी ज़िंदगी का कोई मक़सद ढूंढता है ये दिल
गर मुट्ठी भर खुशी मिल जाए ये सोचता है ,ये दिल

सपनों को कभी कभी हक़ीक़त समझने लगता हैं ये दिल
भला इतना नादान  भी कैसे हो सकता है ये दिल       

इस सऺगेमरमर जैसी ज़िंदगी में फूल ढूंढता है ये दिल
गलती से भी मुस्कुरा दूं तो हर्जाना मांगता है ये दिल

और क्या कहूं की इतना ही मासूम और भोला है ये दिल
इसलिए तो अब बिल्कुल ख़ामोश रहने लगा है ये दिल।

©Sadhna Sarkar #celebration #ankahe-jazbat
ना जाने क्या क्या सोचता है ये दिल 🌺