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मेरा हाथ पकड़ कर दूर कहीं दूर तक मेरी उम्मीद मुझे

मेरा हाथ पकड़ कर दूर कहीं दूर तक मेरी उम्मीद मुझे ले जाती है, फ़िर चलते चलते जब कुछ सवाल पूछती हूँ तो मेरी आंखों में आँखे डाल कर खूब हसती है और कहती है कि तू सच में बहुत नादां है जो मुझपे इतना विश्वास करती है, और अचानक नाउम्मीदी  के घने जंगलो में मुझे छोड़ जाती है फ़िर नई सुबह नई उम्मीद के लिए,,,,,,,

रिम्मी बेदी नज़र

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