मैं क्यूँ बनूँ एक और निर्भया?
मैं क्यूँ बनूँ एक और निर्भया - नया हिन्दी गाना गीत कविता
सारे धरने, सरकारी वादे और कानून के बावजूद हर रोज एक और निर्भया
अब बहुत हो गया, इंसानियत से भरोसा खो गया, पानी सर से गुज़र गया
अब आप ही बताइये, मैं क्यूँ बनूँ एक और निर्भया?
इंसानी भेष में दरिंदे, विकृत मानसिकता के परिंदे, हैं मौके की तलाश में