अना को अपनी ऊँचा कर दूँ, यानी सबका दर्जा दूजा कर दूँ, उसको रोज़ मुजस्सम देखूँ, एक बीमार को अच्छा कर दूँ, यही शराफत रक्खूँ खुद पर, या फिर वहशी हो जाऊँ, करूँ दो बातें आदम जैसे, या हंगामा बरपा कर दूँ...!— % & अना को अपनी ऊँचा कर दूँ, यानी सबका दर्जा दूजा कर दूँ..... अना- आत्मसम्मान