"किस की है!" गोया निहाल बैठे है, आख़िर तयारी ये किस की है इंतिजार किस का है, सजाई सवारी ये किस की है कौन है वो नूर-ए-बदन, रोशन समां जो कर गई झुका दिया जहां सारा, अबला नारी ये किस की है कैसी मदहोश आहट उसकी, गोया मयकदा हो कोई चश्म-ए-मजबूर कर रही, अक्स भारी ये किस की है दब गए दिल बोझ लिए, तसव्वुर के खातिर उसके छपी तस्वीर दिलों पे, शागिर्द शिकारी ये किस की है चुरा रही चैन-ओ-सुकून, जलवों को दिखा दिखाकर खंजर बिना मार जाती, अत्याचारी ये किस की है रोंगटे खड़े कर देती, बैठे बिठाए निहाल जिस्म पे बे-हाल कर दिल को, जलाएं चिंगारी ये किस की है बड़ा हिम्मतवाला होगा, जो सह लेता होगा "विशाल" ख़ैर छोड़ देना सोचना बात, कुमारी ये किस की है विशाल #gazal_e_vishal ग़ज़ल-१