कल फ़िर वो आएगा , फ़ासले मिटयेगा ख़्वाब ही तो हैं ,बार बार हसरतें जगायेगा दूरियाँ जो मंजिलो की हो जाती हैं रास्तों से दूर उन रास्तो पे चल मंजिलो को वो पायेगा यही सोच हर रोज वो थककर सो जाता हैं नीन्दो में ख़्वाबों संग बाते कर फ़िर से वो लग जाता हैं नहीँ टूटता तब तक वो , जब तक हासिल मंजिल नहीँ होती बना इरादा पत्थर सा वो रातो में भी डट जाता हैं देख ख्वाब उम्मीदों का वो ; बादलों सा रुक जाता हैं ! #एकलव्य # #love with goal ऊषा माथुर