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समय की कुल्हाड़ी हँस रही थी.., यादों की धार बहुत ते

समय की कुल्हाड़ी हँस रही थी..,
यादों की धार बहुत तेज थी..,
खुशियों के वृक्षों का तना कट गया..,
विश्वास की डालियाँ टूट गई..,
उन पर खिले स्नेह रूपी फूल..,
और प्रेम के फल मुरझा गयें..,
मुस्कुराहटों का वह वृक्ष..,
अपनी आस के साथ..,
कुछ यूँ जमीं पर बिखर गया..,

पैरों में दर्द की एक फाँस जो चुभी..,
कुचले फूलों की आह..,
तन को कुछ ऐसे लगी..,
प्रेम के फल का स्वाद..,
लबों को ज़ख्मी कर गया..,
फिर भी अगले स्वाद की चाह में..,
एक और खुशियों का वृक्ष..,
समय की कुल्हाड़ी से कट गया..,
शायद इनका अस्तित्व..,
जीवन मे बस इतना ही रह गया.., #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी ...जब समय की पैनी कुल्हाड़ी चली..
हमारी यह रचना "आदरणीय अमृता प्रीतम जी" की एक रचना "हादसा" से प्रेरित है..

#yqdidi #yqbaba #yqsahitya #yqtales #yq #yqdiary #yqthoughts
समय की कुल्हाड़ी हँस रही थी..,
यादों की धार बहुत तेज थी..,
खुशियों के वृक्षों का तना कट गया..,
विश्वास की डालियाँ टूट गई..,
उन पर खिले स्नेह रूपी फूल..,
और प्रेम के फल मुरझा गयें..,
मुस्कुराहटों का वह वृक्ष..,
अपनी आस के साथ..,
कुछ यूँ जमीं पर बिखर गया..,

पैरों में दर्द की एक फाँस जो चुभी..,
कुचले फूलों की आह..,
तन को कुछ ऐसे लगी..,
प्रेम के फल का स्वाद..,
लबों को ज़ख्मी कर गया..,
फिर भी अगले स्वाद की चाह में..,
एक और खुशियों का वृक्ष..,
समय की कुल्हाड़ी से कट गया..,
शायद इनका अस्तित्व..,
जीवन मे बस इतना ही रह गया.., #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी ...जब समय की पैनी कुल्हाड़ी चली..
हमारी यह रचना "आदरणीय अमृता प्रीतम जी" की एक रचना "हादसा" से प्रेरित है..

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akalfaaz9449

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#ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी ...जब समय की पैनी कुल्हाड़ी चली.. हमारी यह रचना "आदरणीय अमृता प्रीतम जी" की एक रचना "हादसा" से प्रेरित है.. #yqdidi #yqbaba #yqsahitya #yqtales #yq #yqdiary #yqthoughts