Unsplash वो आंखें ...... जिन्हें मैं ढूंढता हर रोज़ वो मेरी अपनी ही थी वो तो मुझे तब पता चला जब मैंने उन आंखों को उसकी आंखों में देखा!!!! ऐसा लगा जैसे मेरी ही नजरें तलाश कर रही हो खुद की और पता पूछ रही हो उसकी आंखों से झांक कर कैसे यकीं करूं ........ इन फरेबी नजरों का जो मेरी है.....पर झांक रही है तेरी उन आंखों से और सच तो यह है दोनो ही तलाश कर रहे खुद को एक दूसरे में वो......... मुझमें , मैं .......उसमे!!!!!! ©Lalit Saxena हिंदी कविता