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lalitsaxena2928
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Lalit Saxena

दिल की अनुभूतियों को कोशिश की है शब्दो में पिरोने की,एक चाहत है उसकी सुरभि से आपके अंतर्मन को भिगोने की। Life isn't always easy — nor do we expect it to be — but when you bring a few laughs into your day, things get a little easier. My oth expertise in Painting, writing, vaastu expert,astral experts,palmist reiki grand master and astrology its just my hobby I m official certified consultant nd retired from Govt sector as an sr. Executive.

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Lalit Saxena

White किसी करार का भी जिक्र नहीं है निसाब में
क्या खुशी नहीं है ज़िंदगी तुम्हारी किताब में 

कौन सी सूरत है जो दिखलाई जाएगी भला
दुख दर्द के अलावे नहीं, कुछ भी हिजाब में 

सूखा पड़ा कछार सा मन  पसरी पड़ी है रेत
ये कौन सा म॔ज़र हम देखा किए हैं ख्वाब में 

है खुशबू ए चमन नहीं, है रौनके बहार कहाँ
थकन सी आ गई है, ख़्वाहिशों के शबाब में 

कुछ नहीं अपना, सब तेरी इनायत तो फिर
जो चाहे वो चढ़ा देना कर्ज हमारे हिसाब में 

तुम्हारी हुकूमत के हैं हम रियाया नहीं कोई 
बातें न किया कर कभी यूँ,  हमसे रुआब में 

बेहद जब हो जाएंगे फिर जुनून की हद क्या
दरिया भी निकाल लाएंगे एक रोज सराब में

©Lalit Saxena #Sad_Status  शायरी attitude

#Sad_Status शायरी attitude

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Lalit Saxena

Unsplash दिल में कई राज छुपाए बैठा हूं
समझ सको तो समझ लेना 
एक अनसुलझी शिकायत 
सुलझाए बैठा हूं
कशिशों के मंजर में सैर करती नांव 
झील को गुलशन सा सजाए बैठा हूं
जज्बातों का तूफ़ान कभी वीरान तो
कभी अंजान है..........
पढ़ लो तुम सुकून से 
हर अरमान जलाए बैठा हूं
हर धड़कन से गुजरता है ख्याल आपका
इन धड़कनों को मै ग़ज़ल सुनाए बैठा हूं
दिल में कई अरमान छुपाए बैठा हूं।

©Lalit Saxena #snow  शायरी लव रोमांटिक

#snow शायरी लव रोमांटिक

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Lalit Saxena

White सुनो............
तुम मुझे इतना भूल जाना
की तुम जी सको....!!!!!

और

मै....तुम्हे इतना याद रखूंगा
की "मै" जी सकूं।।।

©Lalit Saxena #love_shayari  'अच्छे विचार'

#love_shayari 'अच्छे विचार'

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Lalit Saxena

White दफ़्न कहाँ पे है,उसकी ख़ाक कहाँ है
आदमी में ग़ैरत ओ अख़लाक कहाँ है 

वो हुक़्मरान है कहाँ वो बादशाह कहाँ 
उस मुश्ते ख़ाक की अब धाक कहाँ है

एक रोज़ मुड़के साए ने पूछ ही लिया 
आपकी हुजूर, वो नीयते पाक कहाँ है

कैसे नहीं माने हम गुनाहगार आपको
आपकी साजिश है, इत्तेफाक कहाँ है

ये दिल नहीं लगता कूचे गली में आके
वो दोस्त पुराना था जो बेबाक कहाँ है

उम्र गुज़र जाए नहीं बेनाम ही शहर में
जो लोग मिला करते थे तपाक कहाँ है

समाज शर्मसार हो क़ातिल अगर पूछे
कल रात जो हुआ था हलाक कहाँ है

©Lalit Saxena #love_shayari  शायरी दर्द

#love_shayari शायरी दर्द

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Lalit Saxena

White क़लाम 

_________________________
मेरे  ग़म - ख़्वार ही मेरे सितमग़र हो गये
लोग  बरहम  थे शीशे कैसे पत्थर हो गये
_________________________
हम  ने दिल से की दुश्मनों के लिए दुआऐ
और मसीहाई कर खादीमे-पयम्बर हो गये
_________________________
सांयो को ढुढते रहे हम  सुरज की तपन में
हम चार कदम चले की जंगल शहर हो गए

©Lalit Saxena #sad_quotes
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Lalit Saxena

Unsplash ग़लतफ़हमियाँ दोनों के दरम्यान न रहे
रिश्तों में कभी रिश्तों के एहसान न रहे

सादगी तो देखिए अंदाज़े बेरूखी की
कुरबान क्या करें जां ,मेहरबान न रहे

वो झूठ बोलता है,सदा ईमान उठाकर
उनके हाथों में  गीता या कुरान न रहे

मर्जी है उनकी वो मुझे चाहे कि न चाहे
क्या बात हुई दिल में मेरे अरमान न रहे 

दिल टूटने की और ही वजह कही मैं ने
वो रकीबों के सामने तो पशेमान न रहे

©Lalit Saxena #Book  लव शायरी हिंदी में

#Book लव शायरी हिंदी में

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Lalit Saxena

बढ़ गई है आजकल औकात हमारी
थाने में कल हुई है दरयाफ़्त हमारी

मुंसिफ़ को है मालूम पेशेवर गवाह है
शायद करेगा वो ही शनाख़्त हमारी

इस झूठ के शहर से परेशान हैं बहुत
सच की रही है आदत हज़रात हमारी

आदमी होना है अगर जुर्म तो कुबूल
और क्या होनी है तहक़ीक़ात हमारी

बस्ती है ये प्यार की,आबोहवा बेहतर
पूछी न जाए मज़हब ओ जात हमारी

एक रोज़ तो सुनें, दिल की ख्वाहिशें 
एक बार तो पढ़िए दरख़्वास्त हमारी

©Lalit Saxena शायरी दिल से

शायरी दिल से

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Lalit Saxena

कितना मुश्किल है
जिंदगी भर इस अंदाज में 
सब्र करना।

तुम्हीं से फासला रखना
और तुम्ही से इश्क करना

©Lalit Saxena शायरी

शायरी

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Lalit Saxena

White बातें कहनी थी मगर अनकही रह गई
यह ज़िन्दगी जैसी थी वैसी ही रह गई 

चुक गए सब हिसाब उम्र का जोड़ते
हाथों में बस एक पुरानी बही रह गई 

मैं ग़लत कब था लेकिन ग़लत ही रहा
वो सही कब थे फिर भी सही रह गए

बन गए सरपरस्त इन दिनों जब अंधेरे
रोशनी हर एक राह की सतही रह गई 

कब मैं कहता हूँ दुनिया बुरी है तुम्हारी 
कल थी जैसी आज है वैसी ही रह गई

ग़ैर सी हो गई है मुस्कुराहटें आज कल
बस घुटन अपने दिल की, सगी रह गई 

चाँद तारों की हुकूमत खुदकुशी दीये की
देखता ही रह गया मैं बस बेवसी रह गई 



***

©Lalit Saxena #sad_quotes कविता

#sad_quotes कविता

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Lalit Saxena

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