सखी किसी के हक में नहीं और किसी को हक नहीं होता अजब तमाशा है हकदारी का भी बिन पैरों की दौड़ में जादू सा होता किसी को बड़ी बेबाकी से मिलती है और किसी को दीदार भी नहीं होता बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla RAVINANDAN Tiwari