*** कविता *** *** कोई ऐसा *** " कोई ऐसा चाहिए जो बात करें , बेमतलब सा मुलाकात करे , फासलों क्या है आज भी कल नहीं रहेगी , ये खाली ओझल लम्हे उसके बातो की आदी हैं , कोई ऐसा चाहिए जो बात करें , बिना मिले भी कुछ यू मुलाकात करे , कोई गूनजाइस बची ना रहे , कोई ख्वाहिश दबी ना रहे , तेरे मुलाकातों का सिलसिला बार-बार हो , बिन चाहे बिना भी हर बार हो , वेरुख ना रहे कोई ऐसे में , वो मेरे रुख का सामना हर बार करें . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** *** कोई ऐसा *** " कोई ऐसा चाहिए जो बात करें , बेमतलब सा मुलाकात करे , फासलों क्या है आज भी कल नहीं रहेगी , ये खाली ओझल लम्हे उसके बातो की आदी हैं , कोई ऐसा चाहिए जो बात करें ,