वक़्त की हांडी पर ही ख्वाब सतरंगी पकता है चाहे दुनिया भर कि हो उठापटक ज़िंदादिली से जीवन..निभता है सुना है जन्नत की बस्ती उस पार बसती है पतवार चलाई जिसने वही उस पार पहुँचता है खोटे सिक्कों की मांग बढ़ते ही असली सिक्का बाजार से भाग खड़ा होता है ©Parasram Arora वक़्त की हांडी.....