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अब तो इस राह से वो शख़्स गुजरता भी नहीं, अब किस उम

अब तो इस राह से वो शख़्स गुजरता भी नहीं,
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई।
वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसान था,
मुझसे हर लम्हा मुखातिब रही ग़ैरत मेरी।
मेरी बहार-ओ-खिज़ां जिसके इख्तियार में थी,
मिजाज़ उस दिल-ए-बेइख्तियार का न मिला।
मैं उसका हूँ ये तो मैं जान गया हूँ लेकिन,
वो किसका है ये सवाल मुझे सोने नहीं देता।
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©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  Ab Nind kahan se Laun.....🙎

Ab Nind kahan se Laun.....🙎 #शायरी

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