जब लिखा हो नसीब में वियोग का संयोग, लाख जतन कर ले चाहे नही बनेगा कोई योग ।। कहते हैं कि जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है, पर कृष्ण बनके प्यार करके वो भी पछताता है ।। किस्मत में है जो लिखा वही तुझे मिल जायेगा, पर गीता में है ये लिखा बस कर्म कर,फल पायेगा ।। क्या करूं,जाऊं कहां कहां जाकर सर फोड़ लूं , मिलता नही जब हक़ का कहो किसकी गर्दन मडोड़ लूं ।। चलो मान लिया प्यार-मोहब्बत बस आँखो का छलावा है , पर उसका क्या जिसने उसको पलकों पर बिठाया है ।। छोड़ कर हर दुनियाँ-दारी जिसको अपना मान लिया था, हे! ईश्वर, क्या जलन थी तुझको उससे ही बिछोह लिखा था ।। यकीन है मुझको अब भी तुझ पर तू दुआएं मेरी अपनाएगा, सलामती कर मेहबूब की मेरे फिर मुझको पास बुलाएगा ।। -अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) जब लिखा हो नसीब में वियोग का संयोग, लाख जतन कर ले चाहे नही बनेगा कोई योग ।। कहते हैं कि जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है, पर कृष्ण बनके प्यार करके