तालिबान और अफगानिस्तान
ऐसा नहीं की तालिबान पहली बार सत्ता में आया हो या अचानक सत्ता पक्ष पर हावी हो गया हो।इसकी जड़ें बेहद गहरी हैं,अस्सी के दशक से जब परोक्ष रूप से विदेशी ताकतें यथा रूस अपने विचारधारा के सरकार की हुकूमत वहां चला रहा था,तो तालिब अर्थात् छात्र सुन्नी इस्लाम के कट्टर विचारधारा से प्रभावित हो विदेशी ताकतों के खिलाफ़ गोलबंद हुए।उन्होंने आम जनता से भ्रष्टाचार और अराजकता हटाने का वादा किया और इसके फलस्वरूप जनता के परोक्ष समर्थन पाकर सत्ता पर काबिज़ हुए।परंतु,वादा के विपरीत उन्होंने श