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हां बेरोजगार हूं मैं, लोगों के नजरों में गुनहगारों

हां बेरोजगार हूं मैं,
लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं।।
पढ़ने का तो शौकीन हूं मैं,
लेकिन सरकारी ऑफीसर न बनने से परेशान हूं मैं !!

सपने तो हजार बोए है मन में,
उन्हें साकार करने के भी काबिल हूं मैं,
लेकिन इस व्यंग भरी दुनिया के सामने,
झुकने के लिए तैयार हूं मैं।।
हां क्योंकि बेरोजगार हूं मैं,
लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं ।।

रोता हूं मन में न दिखाकर न हॅंसकर,
पूछता हूं खुद से व्यंग पर या जंग पर,
कसते  हैं जो ताने आंखें दिखाकर ,
शर्मसार करते हैं जो बैठकर बिठाकर,
इस कारण बंद कमरे का एक कैदी हूं मैं,
हां क्योंकि बेरोजगार हूं मैं,
लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं।।


लड़ता रहूंगा क्यों हार माननी जिंदगी से,
सुन भी लूंगा क्यों डरना व्यंग्यों से,
सपने संजोकर रखे हैं जो मन में ,
उन्हें पूरा करने के लिए अग्रसर हूं मैं, 
हां क्योंकि बेरोजगार हू मैं,
लोगों की नजरों में गुनहगारों हूं मैं ।।

चुप्पी साध कर दुनिया के सामने,
सबको एक दिन आईना दिखाऊंगा मैं ,
खैर जाने दो क्या कहूं उन सबसे मैं,
क्योंकि उन्हीं सब का कर्जदार हूं मैं,
हां क्योंकि बेरोजगार हू मैं,
लोगों की नजरों में गुनहगारों हूं मैं।।

©Neeraj dangwal
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हां बेरोजगार हूं मैं।
दुनिया के नज़र में गुनहगार हूं मैं।।

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