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आज काफी अर्शे बाद कोई मूवी देखी। मै लोगो की तरह मू

आज काफी अर्शे बाद कोई मूवी देखी। मै लोगो की तरह मूवी लवर नही हूँ पर हां कुछ जॉनर जैसे फनी, हॉरर, पुलिस और आर्म्ड फोर्सेज बेहद पसंद है मुझे। बायोपिक हो तब तो क्या ही कहना।हॉल में जा कर मूवी देखना भी मुझे कुछ खास नही पसंद बहुत कम ही देखी है। अक्सर फ़ोन में ही देख लिया करती हूं। कई दिन से कुछ गाने मेरे जेहन को बहुत भा से गये हैं जिनको अक्सर गुनगुनाती रहती हूं। मुझे पता है आप सबको भी बहुत पसंद होंगे। मैं बात कर रही हूं कैप्टेन बत्रा मूवी और उसके सांग्स की। रांझा और रातां लंबियां ये दोनों सांग्स जैसे मेरे दिल मे घर कर गए हैं। एक तो ये बायोपिक ऊपर से लव स्टोरी, सोने पर सुहागा वाली बात है। अपने देश के लिए मर-मिटने का जज़्बा हर फौजी में होता है पर क्या अपने लव लाइफ को लेकर हर कोई इतना लॉयल, सिंसियर होता है? नही न आजकल तो लोगों ने फीलिंग्स, इमोशन्स का मजाक बना कर रख दिया है। ये नही तो कोई और सही, कोई और नही तो कोई और या फिर एक साथ कई। जैसे प्यार नही बाजार में सब्जी खरीदने निकले हो कि जितनी पसंद आये लेते जाओ। सबकी फ़ीलिंग्स से खेलो और फिर जब मन भर जाए तो एक किनारे कर दो। नए नए ऑप्शन्स तलाश करते रहो। क्या ऐसा करना सही है?नही न, तो क्यों करते हैं लोग ऐसा और फिर बहाने करते हैं या फिर सामने वाले को गलत ठहराने लगते हैं खुद गलत होते हुए। 
          कैप्टेन बत्रा मूवी देख कर लगा कि उस टाइम भी कितनी बंदिशें थी पर कैप्टेन विक्रम और डिंपल ने एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने का जो डिसीजन लिया उसको हज़ार मुश्किलों को झेलते हुए निभाया। बत्रा चाहते तो आर्मी जॉइन करने के बाद डिंपल को मना कर सकते थे या डिंपल फैमिली प्रेशर में आकर इस रिश्ते को खत्म कर देतीं पर नही उन दोनों ने उस रिश्ते को निभाया उतने ही प्यार और विश्वास से जो उन्होंने एक दूसरे से कॉलेज के समय किया था। विक्रम का डिंपल के पापा से बात करना, अपनी फैमिली को कन्वेंस करना कितना खूबसूरत लगा देख कर। पर आजकल कहा हो पाता है लोगो से ऐसा उन्हें तो बेहतर नही बेहतरीन की तलाश है तब तक, जब तक वो शख्स उन्हें मिल न जाये। मिलने के बाद तो उसकी कोई वैल्यू ही नही रह जाती। बहाने बनने शुरू हो जाते हैं तरह-तरह के। विक्रम और डिंपल एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा टाइम तक नही रहे और उनकी स्टोरी सुनने और देखते हुये कई मर्तबा मेरी आँखे भीग गयी।अभी आधी ही मूवी देखी थी बाकी देखने की हिम्मत नही हो पा रही। पर जितनी देखी उसको देखते ही दिल से बस यही आवाज़ आयी कि प्यार हो तो ऐसा और निभाने की ज़िद हो तो ऐसी जिसमे कोई बहाना, दिखावा न हो। इसे कहते है सोल कनेक्शन, प्योर लव। विक्रम के जाने के बाद भी डिंपल ने उन यादों में जीना बेहतर समझा वो आगे तो बढ़ी पर विक्रम की यादों के साथ। विक्रम ने भी बिना डरे हर मोड पर डिंपल का हाँथ थामा जब वो कुछ नही थे और तब भी जब उन्होंने बहुत कुछ हांसिल कर लिया था। काश दोनो का साथ और भी लंबा होता पर कहते है न कि अच्छे लोग भगवान को बहुत पसंद होते हैं इसलिये शायद अच्छी कहानियां को भी वो मुक्कमल नही होने देते। उन्हें अधूरा करके छोर देते हैं और रह जाती है तो बहुत सारी मीठी यादें। ऐसा प्यार और विश्वास हमेशा बना रहे अच्छा लगता है ऐसी कहानियों को सच होते और उनको एक-दूसरे के साथ देखना।

©Sandhya Sherashah movie कुछ महीने पहले देखी थी और लिखा भी तभी था पर पोस्ट आज कर रही! मूवी रिव्यु नही पर हाँ लोगों के जज़्बात, प्यार और जिम्मेदारियों को लिख रही हूँ!
amazing movie and songs ❣️

#MovieReview #Love #countrylove #responsibility #nation #pride #
#Lifelight
आज काफी अर्शे बाद कोई मूवी देखी। मै लोगो की तरह मूवी लवर नही हूँ पर हां कुछ जॉनर जैसे फनी, हॉरर, पुलिस और आर्म्ड फोर्सेज बेहद पसंद है मुझे। बायोपिक हो तब तो क्या ही कहना।हॉल में जा कर मूवी देखना भी मुझे कुछ खास नही पसंद बहुत कम ही देखी है। अक्सर फ़ोन में ही देख लिया करती हूं। कई दिन से कुछ गाने मेरे जेहन को बहुत भा से गये हैं जिनको अक्सर गुनगुनाती रहती हूं। मुझे पता है आप सबको भी बहुत पसंद होंगे। मैं बात कर रही हूं कैप्टेन बत्रा मूवी और उसके सांग्स की। रांझा और रातां लंबियां ये दोनों सांग्स जैसे मेरे दिल मे घर कर गए हैं। एक तो ये बायोपिक ऊपर से लव स्टोरी, सोने पर सुहागा वाली बात है। अपने देश के लिए मर-मिटने का जज़्बा हर फौजी में होता है पर क्या अपने लव लाइफ को लेकर हर कोई इतना लॉयल, सिंसियर होता है? नही न आजकल तो लोगों ने फीलिंग्स, इमोशन्स का मजाक बना कर रख दिया है। ये नही तो कोई और सही, कोई और नही तो कोई और या फिर एक साथ कई। जैसे प्यार नही बाजार में सब्जी खरीदने निकले हो कि जितनी पसंद आये लेते जाओ। सबकी फ़ीलिंग्स से खेलो और फिर जब मन भर जाए तो एक किनारे कर दो। नए नए ऑप्शन्स तलाश करते रहो। क्या ऐसा करना सही है?नही न, तो क्यों करते हैं लोग ऐसा और फिर बहाने करते हैं या फिर सामने वाले को गलत ठहराने लगते हैं खुद गलत होते हुए। 
          कैप्टेन बत्रा मूवी देख कर लगा कि उस टाइम भी कितनी बंदिशें थी पर कैप्टेन विक्रम और डिंपल ने एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने का जो डिसीजन लिया उसको हज़ार मुश्किलों को झेलते हुए निभाया। बत्रा चाहते तो आर्मी जॉइन करने के बाद डिंपल को मना कर सकते थे या डिंपल फैमिली प्रेशर में आकर इस रिश्ते को खत्म कर देतीं पर नही उन दोनों ने उस रिश्ते को निभाया उतने ही प्यार और विश्वास से जो उन्होंने एक दूसरे से कॉलेज के समय किया था। विक्रम का डिंपल के पापा से बात करना, अपनी फैमिली को कन्वेंस करना कितना खूबसूरत लगा देख कर। पर आजकल कहा हो पाता है लोगो से ऐसा उन्हें तो बेहतर नही बेहतरीन की तलाश है तब तक, जब तक वो शख्स उन्हें मिल न जाये। मिलने के बाद तो उसकी कोई वैल्यू ही नही रह जाती। बहाने बनने शुरू हो जाते हैं तरह-तरह के। विक्रम और डिंपल एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा टाइम तक नही रहे और उनकी स्टोरी सुनने और देखते हुये कई मर्तबा मेरी आँखे भीग गयी।अभी आधी ही मूवी देखी थी बाकी देखने की हिम्मत नही हो पा रही। पर जितनी देखी उसको देखते ही दिल से बस यही आवाज़ आयी कि प्यार हो तो ऐसा और निभाने की ज़िद हो तो ऐसी जिसमे कोई बहाना, दिखावा न हो। इसे कहते है सोल कनेक्शन, प्योर लव। विक्रम के जाने के बाद भी डिंपल ने उन यादों में जीना बेहतर समझा वो आगे तो बढ़ी पर विक्रम की यादों के साथ। विक्रम ने भी बिना डरे हर मोड पर डिंपल का हाँथ थामा जब वो कुछ नही थे और तब भी जब उन्होंने बहुत कुछ हांसिल कर लिया था। काश दोनो का साथ और भी लंबा होता पर कहते है न कि अच्छे लोग भगवान को बहुत पसंद होते हैं इसलिये शायद अच्छी कहानियां को भी वो मुक्कमल नही होने देते। उन्हें अधूरा करके छोर देते हैं और रह जाती है तो बहुत सारी मीठी यादें। ऐसा प्यार और विश्वास हमेशा बना रहे अच्छा लगता है ऐसी कहानियों को सच होते और उनको एक-दूसरे के साथ देखना।

©Sandhya Sherashah movie कुछ महीने पहले देखी थी और लिखा भी तभी था पर पोस्ट आज कर रही! मूवी रिव्यु नही पर हाँ लोगों के जज़्बात, प्यार और जिम्मेदारियों को लिख रही हूँ!
amazing movie and songs ❣️

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#Lifelight