महफ़िलों का दौर था अब वो दौर ना रहा साथ होकर भी अब,कोई साथ में ना रहा रंग सिर्फ़ रंग रह गए है आज इस दौर में रंगों की चाहत का कोई दीवाना ना रहा रंगों के संग घुली रहती थी प्रेम की खुशबु प्रेम भरे ज़ज्बात का अब ज़माना ना रहा वो यार पुराने, अब सब किस्से बन गए हैं वक़्त गया, अब महफ़िलों का दौर ना रहा ♥️ Challenge-522 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ :) ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।