क्या किसी जश्न में मैं तुझको भूल जाऊंगा ?
मैं तन्हा रहूं या रहूं महफ़िल में मैं सिर्फ़ तेरा नाम गुनगुनाऊंगा.
ये तो वक्त की नज़ाकत होती है जो किसी महफ़िल में मुस्कुरा लेता हूं मैं,
ये ज़िंदगी तो मैं सिर्फ़ तेरी यादों में बिताऊंगा ।
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