" कैसे तिजारत कर लूं मैं मुहब्बत में , उन्हें सोच के ही सकुन बहुत मिलता हैं , वो चाहे ना चाहे मुहब्बत में नफ़रत की गुंजाइश कुछ भी हो , व्यापार मुहब्बत का अपनी जगह नफ़रत अपनी जगह पे कायम हैं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कैसे तिजारत कर लूं मैं मुहब्बत में , उन्हें सोच के ही सकुन बहुत मिलता हैं , वो चाहे ना चाहे मुहब्बत में नफ़रत की गुंजाइश कुछ भी हो , व्यापार मुहब्बत का अपनी जगह नफ़रत अपनी जगह पे कायम हैं ." --- रबिन्द्र राम #तिजारत #सकुन #मुहब्बत #गुंजाइश #व्यापार #मुहब्ब #नफ़रत #कायम