मेरे मन की बातें सुन ले हे गिरधारी रे। गयियां तेरी भटक रहीं हैं मारी मारी रे। जब तक गायें दूध मलाई देती रहती हैं। तब तक भक्तों की तेरे वो चहेती रहती हैं। दूध छोड़ते ही हो जाती हैं बेचारी रे। गयियां तेरी भटक रहीं हैं मारी मारी रे।। गली–मुहल्ले मारी जाती दौड़ाकर के डंडे। गाय बचाओ नेताओं के हैं चुनावी फंडे। गौशालों में भूखी प्यासी बांधी रहती हैं, गौशाला के मालिक की तो चांँदी रहती है। कलयुग में गायों पर आई विपदा भारी रे। गयियांँ तेरी भटक रहीं हैं मारी–मारी रे।। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीत_मन #श्रीकृष्ण #krishna #yqdidi #yqhindi