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रंग वही है काला काला कोई नफरत करता हरदम नहीं चाह

रंग वही है काला काला

कोई नफरत  करता हरदम
नहीं चाहता है रहना संग
मगर अगर लहराए परचम
उस पर सब होते मतवाला

आँखों में काजल है सुंदर
ईश्क जगाए दिल के अंदर
काले मेघ सभी को भाये
लटकाये बूंदों की माला

काले अक्षर बहुत कीमती
पड़ती जिनसे नीव सृजन की
जिनको इनका ज्ञान नहीं है
किस्मत पर लग जाता ताला

रंग रूप से भेद न करती
कुदरत सबकी इज्जत करती
सबको पोषण देती बेखुद
बड़े जतन से सबको पाला

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #काला_रंग