दर्द से रिश्ता न रख, दर्द भी आना-जाना है वही जिया

दर्द से रिश्ता न रख, दर्द भी आना-जाना है
वही जिया बेहतर, जिसने यह सब जाना है।


जहाँ कांटे होते है, वही सुंदर फूल खिलते है,
काँटों को नहीं, फूलों को ही देखता जमाना है।
दर्द से रिश्ता न रख, दर्द भी आना-जाना है

घनी रातों के अगले दिन का उजाला देखना कभी,
दिलकश दिन हकीकत नहीं, लगता फसाना है।
दर्द से रिश्ता न रख, दर्द भी आना-जाना है

जिंदगी के पहलू है सुख -दुःख, समझ ले कमलेश
जिंदगी बेहतर जीने को, यह मन को समझाना है।
दर्द से रिश्ता न रख, दर्द भी आना-जाना है

©Kamlesh Kandpal
  #drad
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