.......और यही मजा भी है और सजा भी.. इस प्यार में कभी हार नही सकता मैं ... पर जीत भी नहीं सकता कभी.. अपना सारा वक्त तुम्हे दे दिया और कितना चाहु तुम्हे.. मैं पूरे दिल से तुम्हारा हो चुका हु पर पता नहीं क्यों बताऊंगा नहीं ... टूटा हुआ मैं खुद को और कितना तोड़ सकता था मैंने प्यार भी उसी से किया जो मेरा हो नहीं सकता था... ©आई. पूरी कविता